Saturday, May 15, 2010

गणित

कुछ सपने हैं
तेरे और मेरे बीच,
जो कभी हंसाते है
तो कभी रुलाते भी
पर अक्सर ये खामोश कर जाते है तुझ को
तू उलझ जाता है इन
सपनो के गणित में
और
तब दो -दो चार के योग से बाहर हो जाता है
इन सारे सपनो का भूगोल

1 comment:

  1. ab unmukt sapne aate hi kahan hain...jb v aate hain ganit ko saath laate hai..

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sabd mere hai pr un pr aap apni ray dekr unhe nya arth v de skte hai..