Friday, February 19, 2010

सच

दिल का रेशा -रेशा जो कहता है
वो झूठ है
तेरी आँखे और सांसे
जो कहती है
वो भी एक झूठ है
तो चलो ना
अब
वही मान ले
जो सब ने कहा
कि
यही सच है

1 comment:

  1. बात तो वही सच होती है, जो आँखें कहती हैं. शेष तो आप पर है...चाहे जिसे सच मानें. है ना ? अच्छी कविता है.

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sabd mere hai pr un pr aap apni ray dekr unhe nya arth v de skte hai..