सुनो
सब ने कहा
कोई गीत लिख दू
तुम्हारे लिए
कैसे बताऊँ ,
तुम तो मेरे मन का संगीत हो ,
गुनगुनाती हूँ तुम्हें हर दम
चलती तो तुम साथ चलते
हँसती तो तुम साथ हँसते
सजती तो तुम श्रींगार बनते
हाँ
तुम ही तो हो मुझ में
मेरे चारों ओर
तुम्हें देखा कब मैंने
अलग से ।
जीवन मैं तो जीवन रस तुम
अब तो बस
तुम में मैं
मुझ में तुम ।
वाह साथी जी गज़ब की अभिव्यक्ति है आपकी।
ReplyDeleteलास्ट दो पंक्तियों ने तो मन के अंदर जगह बना ली है।
मजा आ गया। वाह। सच्चे प्रेमी एक दूसरे से कब जुदा रहते हैं।
मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है👉👉 जागृत आँख
कमाल की लेखनी...
ReplyDeleteबहुत सुंदर।