कुछ भर जाता है वो मुझ में ,
क्या है ये,नही जानती
पर जो भी है वो बूंद -बूंद नही ,
सागर -सागर सा लगता है
achchha hai maidam stri mn sagar jaisa bishal hoti hai sara jahan usi se hai arganikbhagyoday.blogspot.com
कुछ भर जाता है वो मुझ में ,क्या है ये,नही जानतीपर जो भी है वो बूंद -बूंद नही ,सागर -सागर सा लगता है Bahut sunder.....!!
पहली बार आपके शब्दों व भावों से हाथापाई हुई.हमें तो सागर की लहर मात्र ही लगी, बाकी लहरें व पूरा समंदर शायद अभी आना है.सुंदर .. शुभकामनाएं!
bahot sunder.
सागर सा कुछ भर गया वो मन मे...हमेशा की तरह एक अलग हटके कविता..
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
sukriya aap sb ka..
sabd mere hai pr un pr aap apni ray dekr unhe nya arth v de skte hai..
achchha hai maidam stri mn sagar jaisa bishal hoti hai sara jahan usi se hai
ReplyDeletearganikbhagyoday.blogspot.com
कुछ भर जाता है वो मुझ में ,
ReplyDeleteक्या है ये,नही जानती
पर जो भी है वो बूंद -बूंद नही ,
सागर -सागर सा लगता है
Bahut sunder.....!!
पहली बार आपके शब्दों व भावों से हाथापाई हुई.
ReplyDeleteहमें तो सागर की लहर मात्र ही लगी, बाकी लहरें व पूरा समंदर शायद अभी आना है.
सुंदर .. शुभकामनाएं!
bahot sunder.
ReplyDeleteसागर सा कुछ भर गया वो मन मे...
ReplyDeleteहमेशा की तरह एक अलग हटके कविता..
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
ReplyDeletesukriya aap sb ka..
ReplyDelete