Tuesday, January 12, 2010

जाने के बाद

जीवन से ज्यादा,अब

कविता चलती है

जीवन में ,

कभी बनती- सी,तो बिगडती- सी

कभी शब्दों से,कभी आंसुओ से

उडति हवा और बहता पानी भी,

कविता बन जाता है।

जान गयी हूँ ,

तेरे जाने के बाद

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sabd mere hai pr un pr aap apni ray dekr unhe nya arth v de skte hai..