बेटी
जब तुम
कमाना
अपना पैसा
तो मुझे बस खरीद देना
दो रंग
एक हरा
एक नीला
मेरे जीवन के ये रंग सूख गये है
चूल्हे कि कालिख ने मुझ में
भर दिया है कालापन
और
तुम सब के सपनों में रंग भरते भरते
मैं अब
बे-रंग हो चली हूँ
जब तू खरीद देगी मुझे ये रंग
तो मैं भी
धरती कि हरियाली
और
आसमान के नीले विस्तार को
कुछ दिन ही सही
पर
जी तो लूगी
रंग बेटी में भरा .. अब बेटी रंग भरेगी
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत जज़्बात हैं
चलो ! किसी माँ ने अपनी बेटी की कमाई से कुछ माँगा तो. वरना हमारे समाज में तो बेटी की कमाई छूना भी पाप समझा जाता है. ज्यादा से ज्यादा माँयें कह देती हैं कि अपने लिए गहने बनवा लो या और कोई दहेज का सामान खरीद लो.
ReplyDeleteअच्छी रचना है.
बहुत खूबसूरत जज़्बात हैं.......
ReplyDeleteसंवेदनशील!
ReplyDeleteउम्दा!