जानते हो,
कभी-कभी
मन करता है कि
बच्चो जैसी लडाई कर लू तुम से,
कुट्टी-पुच्ची वाली
वापस कर दूँ तुम्हारी चीजे
और
मांग लूँ अपनी हर चीज
थोडा सा अपना मुहं फुलाकर
कहूँ तुम से
"नहीं बोलती तुम से
खूब ......
गुस्सा हूँ "
पर जानती हूँ
इस सब के बावजूद भी,
तुम हमेशा की तरह
गंभीर होकर,
मुस्करा कर चले जाओगे
और
छोड़ जाओगे
मुझे
ढेर सारे सवालों-जबाबों के बीच