Sunday, July 25, 2010

बेटी की पहली कमाई माँ के लिए

बेटी
जब तुम
कमाना
अपना पैसा
तो मुझे बस खरीद देना
दो रंग
एक हरा
एक नीला
मेरे जीवन के ये रंग सूख गये है
चूल्हे कि कालिख ने मुझ में
भर दिया है कालापन
और
तुम सब के सपनों में रंग भरते भरते
मैं अब
बे-रंग हो चली हूँ
जब तू खरीद देगी मुझे ये रंग
तो मैं भी
धरती कि हरियाली
और
आसमान के नीले विस्तार को
कुछ दिन ही सही
पर
जी तो लूगी

Thursday, July 8, 2010

खालीपन

कुछ भर जाता है वो मुझ में ,

क्या है ये,नही जानती

पर जो भी है वो बूंद -बूंद नही ,

सागर -सागर सा लगता है