Wednesday, May 26, 2010
Sunday, May 23, 2010
महक
एक बार की ही तो,
चाहत थी उस की
मेरे बालो को अंजुरी में भर
सूंघ लेने की
और
बस दो पल ही
उस की लम्बी सांसे
मेरी खुशबू को पीती रही
उस के बाद
जब-जब ये जुल्फे खुली
तो
उस की सांसो की महक से
महकाती रही मुझे
चाहत थी उस की
मेरे बालो को अंजुरी में भर
सूंघ लेने की
और
बस दो पल ही
उस की लम्बी सांसे
मेरी खुशबू को पीती रही
उस के बाद
जब-जब ये जुल्फे खुली
तो
उस की सांसो की महक से
महकाती रही मुझे
Saturday, May 15, 2010
गणित
कुछ सपने हैं
तेरे और मेरे बीच,
जो कभी हंसाते है
तो कभी रुलाते भी
पर अक्सर ये खामोश कर जाते है तुझ को
तू उलझ जाता है इन
सपनो के गणित में
और
तब दो -दो चार के योग से बाहर हो जाता है
इन सारे सपनो का भूगोल
तेरे और मेरे बीच,
जो कभी हंसाते है
तो कभी रुलाते भी
पर अक्सर ये खामोश कर जाते है तुझ को
तू उलझ जाता है इन
सपनो के गणित में
और
तब दो -दो चार के योग से बाहर हो जाता है
इन सारे सपनो का भूगोल
Sunday, May 9, 2010
पूंजी
हम दो किनारे
अलग -अलग,
पर साथ चलते हुए
मैं अक्सर अपनी सीमा छोड़,
तुम में मिलना चाहती
और तुम
मेरे आने को देखते बस,
ना स्वागत,ना तिरस्कार
मैं कुछ देर ठहरती तुम्हारे पास
अपनी ख़ुशी के लिए
वापस आती तो साथ लाती
ढेर सारा दुःख
जो तुमने चलते वक़्त
मेरी झोली में भर दिये थे
हंसकर, कहते हुए
संभाल कर रखना
इन्हे
ये ही तेरी पूंजी है
अलग -अलग,
पर साथ चलते हुए
मैं अक्सर अपनी सीमा छोड़,
तुम में मिलना चाहती
और तुम
मेरे आने को देखते बस,
ना स्वागत,ना तिरस्कार
मैं कुछ देर ठहरती तुम्हारे पास
अपनी ख़ुशी के लिए
वापस आती तो साथ लाती
ढेर सारा दुःख
जो तुमने चलते वक़्त
मेरी झोली में भर दिये थे
हंसकर, कहते हुए
संभाल कर रखना
इन्हे
ये ही तेरी पूंजी है
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