Friday, April 23, 2010

अनकहा

अपनी
मौन सांसे
तुम को देना चाहती हूँ,
कि तुम,
इन्हे शब्द देकर,
स्वर देकर,
रंग देकर
दे दो इन्हे
एक नया अर्थ,
एक नयी लय,
एक नया रूप,
और
वो भी
जो इन सब के बीच भी
अनकहा सा रह जाता है

Monday, April 5, 2010

कौन हो तुम

कौन हो तुम
मेरे
भूत, वर्तमान या भविष्य
जो था कल
उस में तो नही हो तुम,
जो चल रहा है,
वहाँ भी नही हो तुम
और
जो कल होगा
वहाँ भी नही होगे तुम
फिर
ये धड़कन
ये साँस
क्यों कहती है मुझसे
कि
तुम हो
पल-पल,हर -पल