अपनी मौन सांसे तुम को देना चाहती हूँ, कि तुम, इन्हे शब्द देकर, स्वर देकर, रंग देकर दे दो इन्हे एक नया अर्थ, एक नयी लय, एक नया रूप, और वो भी जो इन सब के बीच भी अनकहा सा रह जाता है
कौन हो तुम मेरे भूत, वर्तमान या भविष्य जो था कल उस में तो नही हो तुम, जो चल रहा है, वहाँ भी नही हो तुम और जो कल होगा वहाँ भी नही होगे तुम फिर ये धड़कन ये साँस क्यों कहती है मुझसे कि तुम हो पल-पल,हर -पल